इलाके में फैली दहशत, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, विधायक ने लगाई वन विभाग को फटकार
बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महसी क्षेत्र में एक बार फिर भेड़िए का आतंक लौट आया है। इस बार दरिंदगी की हद तब पार हो गई जब एक भेड़िया रात के अंधेरे में मां की गोद से दो साल के मासूम को उठा ले गया। कुछ घंटे बाद उस मासूम का क्षत-विक्षत शव गांव से थोड़ी दूरी पर गन्ने के खेत में पड़ा मिला। यह घटना पूरे इलाके में दहशत और आक्रोश का कारण बन गई है।
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यह चौकाने वाली घटना महसी तहसील के हरदी थाना क्षेत्र अंतर्गत गढ़ीपुरवा गांव की है। मंगलवार देर रात एक महिला अपने दो बच्चों के साथ घर के बाहर बरामदे में सो रही थी। रात के सन्नाटे में एक भेड़िया अचानक आया और दो साल के आयुष को उसकी मां की गोद से उठा ले गया।
मां जब तक कुछ समझ पाती, तब तक भेड़िया अंधेरे में गन्ने के खेतों की ओर भाग चुका था। ग्रामीणों ने शोर मचाया, खोजबीन शुरू की, लेकिन भोर में बच्चे का क्षत-विक्षत शव मिला। बच्चे का चेहरा और शरीर जगह-जगह से नोचा हुआ था।
इलाके में फिर डर का माहौल
महसी क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से लगातार भेड़िए के हमलों की खबरें आ रही हैं। कई मासूम इन हमलों का शिकार हो चुके हैं। लोगों में गहरी नाराज़गी है कि despite प्रशासन और वन विभाग की कोशिशों के बावजूद इन हमलों को रोका नहीं जा सका।
ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय खेतों और गांव के किनारों से अक्सर भेड़ियों की आवाजें सुनाई देती हैं। बच्चे घर से बाहर निकलने से डरते हैं और कई परिवार अब खुले में सोने से भी कतरा रहे हैं।
विधायक ने जताई सख्त नाराजगी
घटना की जानकारी मिलते ही महसी विधायक सुरेश्वर सिंह मौके पर पहुंचे और वन विभाग के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि भेड़िए के हमलों की घटनाएं लगातार हो रही हैं लेकिन वन विभाग सिर्फ कागजों पर काम कर रहा है।
उन्होंने मांग की कि गांव के चारों ओर निगरानी बढ़ाई जाए, ड्रोन और कैमरे लगाए जाएं और भेड़िए को जल्द से जल्द पकड़ा जाए।
प्रशासन और वन विभाग की नाकामी
ग्रामीणों का आरोप है कि इससे पहले भी भेड़ियों ने कई बच्चों पर हमला किया है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वन विभाग के लगाए गए पिंजरे और कैमरे काम नहीं कर रहे। रात में ना तो गश्त होती है और ना ही निगरानी टीम मौजूद रहती है।
✅ ग्रामीणों की मांग
- गांवों के आसपास कैमरे और थर्मल सेंसर लगाए जाएं
- रात में नियमित वन विभाग की गश्त हो
- बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अस्थायी शरण स्थल बनाए जाएं
- हमलों में मारे गए बच्चों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक है। अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो भविष्य में ऐसे और भी मासूम भेड़ियों का शिकार बन सकते हैं। अब वक्त आ गया है कि डर को खत्म कर ग्रामीणों को सुरक्षा का भरोसा दिया जाए।
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